Thursday 5 October 2017

भगवान श्री राम से लेकर कनौज तक राठौङ वंश का इतिहास

इस प्रकार भगवान श्री राम का जन्म मनु की चालिसवीँ पिढी मेँ और इकतालिसवीँ पिढी मेँ लव व कुश का जन्म हुआ। भगवान श्री राम के दो पुत्र थे –

    01 - लव
    02 - कुश

रामायण कालीन महर्षि वाल्मिकी की महान धरा एवं माता सीता के पुत्र लव-कुश का जन्म स्थल कहे जाने वाला धार्मिक स्थल तुरतुरिया है।
भरत के दो पुत्र थे -

    01 - तार्क्ष 
    02 - पुष्कर

लक्ष्मण के दो पुत्र थे –

    01 - चित्रांगद 
    02 - चन्द्रकेतु

शत्रुघ्न के क दो पुत्र थे –

   01 - सुबाहु और      
    02 - शूरसेन थे। (मथुरा का नाम पहले शूरसेन था)

- लव और कुश राम तथा सीता के जुड़वां बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना    चाहा तो भरत नहीं माने। अत: दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक           किया    गया।

- राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल में विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार        राम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती मानें तो श्चय    ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का राज्य दक्षिण कोसल में। कुश की राजधानी कुशावती आज के         बिलासपुर जिले में थी। कोसला को राम की माता कौशल्या की जन्म भूमि माना जाता है।

- रघुवंश के अनुसार कुश को अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था इससे भी सिद्ध होता है कि    उनका राज्य दक्षिण कोसल में ही था। राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बर्गुजर, जयास और करवारों  का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। कुश से कुशवाह (कछवाह) राजपूतों का वंश चला। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार लव ने - की स्थापना  की थी, जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित शहर लाहौर है। यहां के एक किले में लव का एक मंदिर भी बना हुआ है। लवपुरी को बाद में लौहपुरी कहा जाने लगा। 

दक्षिण-पूर्व एशियाई देश लाओस, थाई नगर लोबपुरी, दोनों ही उनके नाम पर रखे गए स्थान हैं। राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा ।

प्रकार भगवान श्री राम का जन्म मनु की चालिसवीँ पिढी मेँ और इकतालिसवीँ पिढी मेँ लव व कुश का

01 - जन्म हुआ। भगवान श्री राम के दो पुत्र थे –

    01 - लव
    02 - कुश

03 - कुश के पुत्र अतिथि हुये। 
04 - अतिथि के पुत्र निषधन हुये। 
05 - निषधन के पुत्र नभ हुये। 
06 - नभ के पुत्र पुण्डरीक हुये।
07 - पुण्डरीक के पुत्र क्षेमन्धवा हुये। 
08 - क्षेमन्धवा के पुत्र देवानीक हुये। 
09 - देवानीक के पुत्र अहीनक हुये।
10 - अहीनक से रुरु हुये। 
11 - रुरु से पारियात्र हुये। 
12 - पारियात्र से दल हुये।
13 - दल से छल हुये।
14 - छल से उक्थ हुये।
15 - उक्थ से वज्रनाभ हुये।
16 - वज्रनाभ से गण हुये।
17 - गण से व्युषिताश्व हुये।
18 - व्युषिताश्व से विश्वसह हुये।
19 - विश्वसह से हिरण्यनाभ हुये।
20 - हिरण्यनाभ से पुष्य हुये।
21 - पुष्य से ध्रुवसंधि हुये।
22 - ध्रुवसंधि से सुदर्शन हुये।
23 - सुदर्शन से अग्रिवर्ण हुये।
24 - अग्रिवर्ण से पद्मवर्ण हुये।
25 - पद्मवर्ण से शीघ्र हुये।
26 - शीघ्र से मरु हुये।
27 - मरु से प्रयुश्रुत हुये।
28 - प्रयुश्रुत से उदावसु हुये।
29 - उदावसु से नंदिवर्धन हुये।
30 - नंदिवर्धन से सकेतु हुये।
31 - सकेतु से देवरात हुये।
32 - देवरात से बृहदुक्थ हुये।
33 - बृहदुक्थ से महावीर्य हुये।
34 - महावीर्य से सुधृति हुये।
35 - सुधृति से धृष्टकेतु हुये।
36 - धृष्टकेतु से हर्यव हुये।
37 - हर्यव से मरु हुये।
38 - मरु से प्रतीन्धक हुये।
39 - प्रतीन्धक से कुतिरथ हुये।
40 - कुतिरथ से देवमीढ़ हुये।
41 - देवमीढ़ से विबुध हुये।
42 - विबुध से महाधृति हुये।
43 - महाधृति से कीर्तिरात हुये।
44 - कीर्तिरात से महारोमा हुये।
45 - महारोमा से स्वर्णरोमा हुये।
46 - स्वर्णरोमा से ह्रस्वरोमा हुये।
47 - ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ। ये “सीरध्वज” सिता के पिता जनक सीरध्वज से अलग है क्योंकि सीरध्वज नाम से अनेक और व्यक्ति हुए हैं।

शल्य, माद्रा (मद्रदेश) के राजा जो पांडु के सगे साले और नकुल व सहदेव के मामा थे। परंतु महाभारत में इन्होंने पांडवों का साथ नहीं दिया और कर्ण के सारथी बन गए थे। कर्ण की मृत्यु पर युद्ध के अंतिम दिन इन्होंने कौरव सेना का नेतृत्व किया और उसी दिन युधिष्ठिर के हाथ मारे गए। इनकी बहन माद्री, कुंती की सौत थीं और पांडु के शव के साथ चिता पर जीवित भस्म हो गई थीं।

एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यह इसकी गणना की जाए तो लव और कुश महाभारत काल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व। इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। महाभारत के पश्चात अयोध्या के सूर्यवंशी राजा सुमित्र हुए।

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